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Rashtriya Swachhata Kendra,
Department of Drinking water &
Sanitation, Ministry of Jal Shakti

Swachh Bharat Swachh Bharat

हाल १: स्वच्छता और भारत

हाल १ में आप अनुभव करेंगे एक अनूठा ३६० डिग्री का मनमोहक ऑडियो-विजुअल आकर्षक कार्यक्रम, जो आपको स्वच्छता और भारत की प्रेरक कहानी बताएगा। १९४७ में अंग्रेजों से मिली स्वाधीनता से, १९८० के सरकार द्वारा आरम्भ किये गये पहले स्वच्छता कार्यक्रमों से होते हुए, २०१४ में हुए स्वच्छ भारत मिशन के आरंभ, और उसके बाद के ५ सालों में देश में देखे गयी अभूतपूर्व स्वच्छ जन क्रान्ति की कहानी। यह कार्यक्रम आपको संसार के इतिहास के सबसे बड़े व्यवहार- परिवर्तन अभियान से अवगत कराएगा।

हाल २ : स्वच्छ भारत : सफलता की एक कहानी

हाल २ में आपको कई अनुभव मिलेंगे जो “खुले में शौच मुक्त” स्वच्छ भारत अभियान, और इस अभियान के प्रधानमंत्री के एक आह्ववान से जन-आन्दोलन बनने की कहानी बताते हैं। बापू के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए २०१४ से २०१९ के पाँच वर्षों में राष्ट्र ने कई बड़े परिवर्तन देखे। यह हॉल इन बदलावों, और “खुले में शौच मुक्त” भारत बनाने के लिए किये गये कामों की कहानियों को अनोखे अंदाज़ में प्रदर्शित करता है।

बाह्य प्रदर्श:

राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र के साथ के बाहर के प्रांगण में में स्वच्छ भारत मिशन के मूल अंशों से सम्बन्धित कुछ आकर्षक कला कृतियाँ /प्रदर्श स्थापित किये गये हैं।

1. महात्मा गांधी – सत्याग्रह से स्वछाग्रह

महात्मा गांधी जी के जीवन से प्रेरित स्वच्छता शपथ लेते हुए लोगों को दर्शाती हुई यह कलाकृति इस जन आन्दोलन के मूल प्रेरणा स्रोत को श्रद्धांजलि देती है। गांधीजी द्वारा जन-आन्दोलन का नेतृत्व और उनका स्वच्छता के महत्त्व के प्रति विश्वास को यहाँ दिखाया गया है।

2. रानी- मिस्त्रियों द्वारा ट्विन पिट शौचालय का निर्माण

रानी मिस्त्रियों की सफलता की कहानी स्वच्छ भारत मिशन की अग्रतम कहानियों में से है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की इन महिलाओं ने चुनौतियों से दो–दो हाथ करते हुए राज मिस्त्री का काम सीखा और घर घर जा कर शौचालियों का निर्माण किया। इस कलाकृति में रानी मिस्त्रियों को शौचालय का निर्माण करके पुरुष प्रधान समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में एक सराहनीय योगदान देते हुए दिखाया गया है।

3. वानर सेना

यह कलाकृति उन जोशीले बच्चों को दिखाता है, जो गांवों में प्रगति, स्वास्थ्य और गरिमा में विश्वास दिखाते हुए स्वेच्छा से स्वच्छाग्रही बने। इन बच्चों ने रामायण कथा की वानर सेना की ही तरह, छोटी छोटी टोलियाँ बनाकर लोगों को खुले में शौच करने की रूढ़िवादी कुरीति से रोका। इसके लिए उन्होंने कई शरारतों का भी सहारा लिया – जैसे उन स्थानों में जहां खुले में शौच किया जाता था – पेड़ों से लटकना, लोटा लेकर जा रहे लोगों को सीटियाँ बजा कर चिढ़ाना, और कई बार तो लोटा लेकर ही भाग जाना।